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Showing posts from November, 2015

Bewafai and boyfriend change hurt touching lines

Cigarette की ख़ास बात पता है क्या है। इसकी आदत कब लग जाती है पता ही नहीं चलता। पर जब कभी आप अकेले होते हैं और कहीं मन नहीं लग रहा होता तो Cigarette ही साथ देती है। जब आप Cigarette जलाते हैं तो बड़ा अच्छा लगता है कुछ एक कश तक पर आखिर तक आते आते होंठ, गला, छाती सब जलने लगते हैं पर इसका साथ नहीं छूट पाता। तब Cigarette कड़वी लगने लग जाती है और आप फेंक देते हैं उसे किसी ऐसे कोने में जहाँ से कोई चीज कभी वापिस उठाई नहीं जाती। पता नहीं क्यों मुझे लगता है कभी कभी हम सब किसी न किसी की जिंदगी में Cigarette की तरह रहे होते हैं। जैसे कि मैं रहा कुछ साल तुम्हारी ज़िन्दगी में और एक दिन तुमने फेंक भी दिया इस बुरी आदत से तौबा करने की कसम खाकर। . . . . पर एक बात कहूँ . . मैं cigarette पीता हूँ और इसीलिए जानता हूँ कि तुम फिर जलाओगी एक Cigarette ... बस कुछ वक़्त की और बात है..